उष्णकटिबंधीय और शीतोष्ण चक्रवात
इस लेख में हम उष्णकटिबंधीय (Tropical) और समशीतोष्ण चक्रवातों (Temperate cyclones) के बारे में अध्ययन करेंगे।
ऊष्णकटिबंधी चक्रवात (Tropical cyclones)
उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति और गुण
उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों (tropical areas) में उष्ण महासागरों के ऊपर उष्ण कटिबंधीय चक्रवात उत्पन्न होते हैं और तीव्र होते हैं।
वे भीषण हवाओं और बहुत भारी वर्षा का कारण बनते हैं।
तूफान प्रणाली धीरे-धीरे आगे बढ़ती है (प्रति दिन लगभग 300 - 500 किमी)।
तटीय क्षेत्रों से टकराने पर ये बड़े पैमाने पर तबाही मचाते हैं।
चक्रवात का लैंडफॉल (Landfall of the cyclone) - वह स्थान जहाँ कोई उष्णकटिबंधीय चक्रवात तट को पार करता है।
उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है:
चक्रवात (Cyclones) - हिंद महासागर में
हरिकेन (Hurricanes) - अटलांटिक में
टाइफून (Typhoons) - पश्चिमी प्रशांत (Western Pacific) और दक्षिण चीन सागर में
विली-विलीज (Willy-willies) - पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में
उष्णकटिबंधीय तूफानों के लिए अनुकूल परिस्थितियां
निम्नलिखित वो परिस्थितियाँ हैं जो उष्णकटिबंधीय तूफानों के निर्माण (और साथ ही तीव्रता) के लिए अनुकूल हैं:
समुद्र के पानी का तापमान 27 डिग्री सेल्सियस से ऊपर।
कोरिओलिस बल (Coriolis force) की उपस्थिति।
पहले से मौजूद कमजोर कम दबाव का क्षेत्र।
तूफान को तेज करने वाले ऊर्जा के स्रोत निम्नलिखित हैं:
क्यूम्यलोनिम्बस/cumulonimbus बादलों में संघनन/condensation प्रक्रिया (तूफान के केंद्र के आसपास)।
समुद्र से नमी की निरंतर आपूर्ति।
उष्णकटिबंधीय चक्रवात कैसे समाप्त होता है?
भूमि पर पहुंचने पर, उष्णकटिबंधीय चक्रवात नष्ट हो जाता है और उसकी प्राकृतिक मृत्यु हो जाती है, क्योंकि नमी की आपूर्ति बंद हो जाती है।
उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की संरचना
यहाँ एक परिपक्व उष्णकटिबंधीय चक्रवाती तूफान की ऊर्ध्वाधर संरचना का आरेख दिया गया है:
उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का एक विशाल व्यास (150 और 250 किमी के बीच) होता है।
उष्णकटिबंधीय चक्रवात की आँख (Eye of tropical cyclone) - तूफान का केंद्र।
कम हवा के कारण यह क्षेत्र शांत रहता है।केंद्र के आसपास का क्षेत्र
केंद्र के चारों ओर तेज हवा चल रही होती है, जो केंद्र का चक्कर लगाती रहती है। इसमें निम्नलिखित विशेषताएं हैं:
- हवा बहुत तेजी से ऊपर जाती है, यहां तक कि क्षोभ-सीमा (tropopause) तक भी पहुंच जाती है।
- अधिकतम वेग वाली हवाएं (250 किमी प्रति घंटे तक)
- यहाँ मूसलाधार बारिश होती है।
चक्रवात और प्रतिचक्रवात में अंतर
- चक्रवातीय प्रवाह - यहाँ हवा का संचार कम वायुमंडलीय दवाब वाले छेत्र के चारों ओर होता है।
- प्रतिचक्रवातीय प्रवाह - यहाँ हवा का संचार उच्च वायुमंडलीय दवाब वाले छेत्र के चारों ओर होता है।
चक्रवात और प्रतिचक्रवात में क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर पवन गति दोनों शामिल होती हैं।
ऐसी प्रणालियों के चारों ओर, क्षैतिज हवाओं की दिशा विभिन्न गोलार्द्धों में उनके स्थान के अनुसार बदलती है:
जहाँ तक ऊर्ध्वाधर हवा की गति का संबंध है:
- हवाएं चक्रवात के केंद्र में ऊपर की ओर चलती हैं।
- हवाएं प्रतिचक्रवात के केंद्र में नीचे की ओर चलती हैं।
अन्य कारक (चक्रवात और प्रति-चक्रवात के अलावा) जो हवा की ऊर्ध्वाधर गति को जन्म दे सकते हैं, निम्नलिखित हैं:
- एडीज (Eddies)
- संवहन धारा (Convection currents)
- पर्वतीय या पर्वतकृत उत्थान (Orographic uplift)
- वाताग्र के साथ हवा का ऊपर जाना (Uplift along fronts)
समशीतोष्ण चक्रवात (Temperate cyclones)
समशीतोष्ण चक्रवातों को बाह्योष्णकटिबंधीय चक्रवात (Extra Tropical Cyclones) और मध्य-अक्षांश चक्रवात (Mid-latitude Cyclones) के रूप में भी जाना जाता है।
इन समशीतोष्ण या बाह्योष्णकटिबंधीय चक्रवातों का अध्ययन करने से पहले, हमें वायुराशि (Air Masses) और वाताग्र (Fronts) के बारे में पता होना चाहिए।
वायुराशि
वायुराशि (Airmass) - हवा का एक बड़ा पिंड, जिसमें तापमान और नमी में बहुत थोड़ा ही क्षैतिज परिवर्तन होता है।
जब हवा एक समरूप क्षेत्र (महासागर या मैदान) पर लंबे समय तक रहती है, तो यह उस क्षेत्र की विशिष्ट विशेषताओं (तापमान, आर्द्रता, आदि) को प्राप्त कर लेती है।
वायुराशि का वर्गीकरण
हम वायुराशियों को स्रोत क्षेत्रों के अनुसार वर्गीकृत करते हैं।
स्रोत क्षेत्र - ये वह समरूप सतहें हैं, जिन पर वायुराशि बनती है।
पांच प्रमुख स्रोत क्षेत्र और वायुराशियाँ:
उष्णकटिबंधीय वायुराशियाँ गर्म होती हैं और ध्रुवीय वायुराशियाँ ठंडी होती हैं।
वाताग्र
वाताग्र (Front) - जब दो अलग-अलग वायुराशियाँ टकराती हैं, तो उनके सीमा क्षेत्र को वाताग्र कहते हैं।
वाताग्र, मध्य अक्षांशों में पाए जाते हैं।
वाताग्र जनन (Frontogenesis) - वाताग्रों के गठन की प्रक्रिया।
वाताग्रों की विशेषताएं:
- तापमान और दबाव में तीव्र परिवर्तन (steep gradient)।
- वे हवा को ऊपर उठाने का कारण बनते हैं। इससे बादल बनते हैं और फिर वर्षा होती है।
वाताग्रों का वर्गीकरण
चार प्रकार के वाताग्र होते हैं:
शीत वाताग्र (Cold Front)
शीत वाताग्र - वो संपर्क क्षेत्र, जो तब बनता है जब ठंडी हवा, गर्म हवा की वायुराशि की ओर बढ़ती है।
उष्ण वाताग्र (Warm Front)
उष्ण वाताग्र - वो संपर्क क्षेत्र, जो तब बनता है जब गर्म हवा की वायुराशि, ठंडी हवा की वायुराशि की ओर बढ़ती है।
अधिधारित वाताग्र (Occluded front)
अधिधारित वाताग्र - यदि कोई वायुराशि पूरी तरह से भूमि की सतह से ऊपर उठी हुई है।
इन तीनों के अलावा एक स्थिर वाताग्र (Stationary Front) भी होता है।
आइए, अब हम अपने मुख्य विषय - शीतोष्ण या बाह्योष्णकटिबंधीय चक्रवातों पर वापस आते हैं।
शीतोष्ण या बाह्योष्णकटिबंधीय चक्रवात
शीतोष्ण, मध्य-अक्षांश या बाह्योष्णकटिबंधीय चक्रवात - उष्णकटिबंधीय (tropics) से परे, मध्य और उच्च अक्षांश में विकसित होने वाली प्रणालियाँ।
इन चक्रवातों का निर्माण ध्रुवीय वाताग्रों पर होता है।
समशीतोष्ण चक्रवातों के बनने की प्रक्रिया
उत्तरी गोलार्ध में, हमारे पास ये पहले से मौजूद स्थितियां होती हैं:
- गर्म हवा, वाताग्र के दक्षिण से चलती है|
- ठंडी हवा, वाताग्र के उत्तर से चलती है।
यह स्तिथियाँ एक वामावर्त चक्रवाती परिसंचरण (anticlockwise cyclonic circulation) को गति प्रदान करती हैं। इससे समशीतोष्ण चक्रवात का जन्म होता है, जिसका एक शीत वाताग्र और एक उष्ण वाताग्र होता है|
घटनाओं का क्रम इस प्रकार है:
घटना 1: गर्म हवा, ठंडी हवा के ऊपर सरकती है।
यह गर्म वाताग्र के आगे बादलों का निर्माण करता है, और वर्षा का कारण बनता है।घटना 2: ठंडा वाताग्र पीछे से गर्म हवा के पास पहुंचता है, और गर्म हवा को ऊपर की ओर धकेलता है।
यह ठंडे वाताग्र पर मेघपुंज बादलों या कपासी बादलों (cumulus clouds) का निर्माण करता है।घटना 3: ठंडा वाताग्र, गर्म वाताग्र की तुलना में तेजी से आगे बढ़ता है और उससे आगे निकल जाता है। गर्म हवा पूरी तरह से ऊपर उठ जाती है और आच्छादित वाताग्र (occluded front) बन जाता है। यह चक्रवात के ख़त्म होने का कारण बनता है।
उष्णकटिबंधीय चक्रवात बनाम समशीतोष्ण चक्रवात
समशीतोष्ण चक्रवात (temperate cyclone) और उष्णकटिबंधीय चक्रवात (tropical cyclone) के बीच अंतर:
समशीतोष्ण चक्रवातों में एक स्पष्ट वाताग्र प्रणाली होती है (उष्णकटिबंधीय चक्रवातों में यह मौजूद नहीं होती)।
समशीतोष्ण चक्रवात, भूमि और समुद्र दोनों से उत्पन्न हो सकते हैं। जबकि उष्णकटिबंधीय चक्रवात केवल समुद्रों के ऊपर उत्पन्न होते हैं। लैंडफॉल पर, वे ऊर्जा खो देते हैं और विलुप्त हो जाते हैं।
समशीतोष्ण चक्रवात बहुत बड़े क्षेत्र को प्रभावित करता है (उष्णकटिबंधीय चक्रवात की तुलना में)।
उष्णकटिबंधीय चक्रवात अधिक विनाशकारी होते हैं, क्योंकि इनमें हवा का वेग बहुत अधिक होता है।
शीतोष्ण चक्रवात पश्चिम से पूर्व की ओर गति करते हैं। दूसरी ओर, उष्णकटिबंधीय चक्रवात पूर्व से पश्चिम की ओर बढ़ते हैं।
अन्य स्थानीय तूफान
स्थानीय तूफान (जैसे थंडरस्टॉर्म और बवंडर) छोटे पैमाने पर आने वाले हिंसक तूफान होते हैं, जो केवल थोड़े समय के लिए ही रहते हैं।
Thunderstorm
थंडरस्टॉर्म क्या होते हैं?
थंडरस्टॉर्म एक अच्छी तरह से विकसित क्यूम्यलोनिम्बस (cumulonimbus) बादल है। यह गरज और बिजली पैदा करता है।
कारण: यह नम गर्म दिनों में तीव्र संवहन (convection) के कारण पैदा होते हैं। ऊपर उठती गर्म हवा बड़े बादल बनाती है और उसके बाद वर्षा का कारण बनती है।
जब तरल पानी की जगह बर्फ पृथ्वी पर गिरती है, तो उसे ओलावृष्टि कहते हैं। यह तब होता है जब बादल उस ऊंचाई तक चले जाते हैं, जहां तापमान शून्य से भी नीचे रहता है।
थंडरस्टॉर्म के कारण उत्पन्न कुछ अन्य घटनाएं
बारिश या ओलावृष्टि के अलावा, थंडरस्टॉर्म के कारण कुछ अन्य प्राकृतिक घटनाएं भी हो सकती हैं।
धूल भरी आंधी (Duststorms): यदि अपर्याप्त नमी है, तो थंडरस्टॉर्म धूल भरी आंधी पैदा कर सकता है।
बवंडर (Tornado): कभी-कभी थंडरस्टॉर्म के कारण घुमावदार हवाएं (हाथी की सूंड की तरह दिखने वाली) नीचे उतरती हैं। इनके केंद्र में बहुत कम दबाव होता है, जो इनके रास्ते में आने वाली किसी भी चीज़ को अपनी तरफ खींच लेता है (इसलिए यह बड़े पैमाने पर विनाश का कारण बनते हैं)। बवंडर आमतौर पर मध्य अक्षांशों (middle latitudes) में उत्त्पन्न होते हैं।
जलस्तंभ (Water spout): यह समुद्र के ऊपर बनने वाला बवंडर (Tornado) है।