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सौर विकिरण और तापमान में क्षेत्रीय बदलाव

पृथ्वी के सभी भागों को समान मात्रा में सौर विकिरण प्राप्त नहीं होता है। क्षेत्रीय और यहां तक ​​कि स्थानीय विविधताएं भी हैं। हम अक्सर तापमान की अवधारणा का उपयोग करके इसे माप सकते हैं।

तापमान (Temperature)

ताप को तापमान के रूप में मापा जाता है, जो किसी चीज/किसी स्थान की गर्माहट/ठंडापन का मापन है।

तापमान का महत्व

  • तापमान हवा की नमी-वहन क्षमता को प्रभावित करता है, जिसे सापेक्षिक आर्द्रता (relative humidity) द्वारा मापा जाता है। हवा में नमी की मात्रा, बादलों के प्रकार और वर्षा की मात्रा को भी निर्धारित करती है।

  • यह वाष्पीकरण और संघनन (condensation) की दर को भी प्रभावित करता है।

आने वाले सूर्यातप और तापमान में क्षेत्रीय बदलाव

किसी भी स्थान पर प्राप्त सूर्यातप और वायु का तापमान निर्भर करता है:

  • उस स्थान के अक्षांश (Latitude) पर
  • उस स्थान की ऊंचाई (Altitude) पर
  • समुद्र से दूरी पर
  • वायुराशि और महासागरीय धाराओं पर

आइए देखें कि कैसे ये कारक प्राप्त सूर्यातप और तापमान में क्षेत्रीय और स्थानीय भिन्नताओं का कारण बनते हैं।

सूर्यातप पर अक्षांश का प्रभाव

कम अक्षांश (latitude) वाले स्थानों में अपेक्षाकृत अधिक समय तक सूर्य दिखता है, और सूर्य की किरणें जमीन पर अधिक लंबवत पड़ती हैं। इसलिए, भूमध्य रेखा के पास के स्थानों का औसत तापमान अधिक होता है।

अपनी झुकी हुई धुरी पर पृथ्वी का परिक्रमण, पूरे वर्ष किसी भी स्थान पर पड़ने वाले सूर्यातप को बदलता रहता है। यह प्रभावित करता है:

  • दिन की लंबाई
  • सूर्य की किरणों के झुकाव का कोण

इन दो कारकों के कारण अलग-अलग ऋतुएँ होती हैं, अर्थात् ग्रीष्म, शीत, आदि।

एक अन्य कारक वातावरण की पारदर्शिता है - वातावरण जितना साफ होगा, उतनी ही अधिक धूप जमीन तक पहुंचेगी। Effect of Latitude on Insolation

रोचक तथ्य
  • भूमध्य रेखा, उष्ण कटिबंध (tropics) की तुलना में कम सूर्यातप प्राप्त करती है।

  • उपोष्णकटिबंधीय रेगिस्तान (Subtropical deserts) सबसे अधिक सूर्यातप प्राप्त करते हैं। यह मुख्य रूप से इसलिए है क्योंकि यहां सबसे कम बादल पाए जाते हैं।

  • सामान्यतः एक ही अक्षांश (latitude) पर महाद्वीपों को महासागरों की अपेक्षा अधिक सूर्यातप प्राप्त होता है।

तापमान पर ऊंचाई का प्रभाव

वायुमंडल को परोक्ष रूप से नीचे से स्थलीय विकिरण द्वारा गर्म किया जाता है न कि सीधे सूर्य की किरणों से। इसका मतलब यह है कि समुद्र तल के पास के स्थानों में अधिक घनी हवा होने की वजह से, वहां उच्च ऊंचाई वाले स्थानों (जहां हवा का घनत्व कम होता है) की तुलना में अधिक तापमान होगा।

इसलिए, हम देखते हैं कि तापमान आमतौर पर ऊंचाई बढ़ने के साथ घटता है (हम यहां क्षोभमंडल, troposphere के बारे में बात कर रहे हैं)।

ऊंचाई के साथ तापमान में कमी की दर 6.5 डिग्री सेल्सियस प्रति 1,000 मीटर है - इसे सामान्य ह्रास दर या सामान्य चूक दर (Normal Lapse Rate) कहा जाता है|

समुद्र से दूरी का प्रभाव (महाद्वीपीयता)

भूमि की तुलना में, समुद्र धीरे-धीरे गर्म होता है और धीरे-धीरे गर्मी खोता भी है। इसकी तुलना में, भूमि तेजी से गर्म होती है और तेजी से ठंडी होती है। (भूमि की तुलना में पानी के तापमान को उसी डिग्री तक बढ़ाने के लिए लगभग तीन गुना अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।)

इसे महाद्वीपीयता का प्रभाव (Continentality) कहते हैं|

यह इन कारकों के कारण है:

  • पानी की उच्च गुप्त ऊष्मा या अंतर्निहित उष्मा (Higher latent heat)
  • चूंकि पानी हमेशा गति में रहता है, इसकी अवशोषित गर्मी अधिक गहराई और क्षेत्र में वितरित हो जाती है। जबकि भूमि पर सूर्यातप सतह पर केंद्रित रहता है।
  • भूमि की अपारदर्शी प्रकृति अधिक अवशोषण का कारण बनती है, जबकि पारदर्शी पानी धीरे-धीरे गर्मी को अवशोषित करता है।
  • पानी की सतह पर वाष्पीकरण - वाष्पीकरण का शीतलन प्रभाव (cooling effect) होता है।

इसलिए, समुद्र और उसके आस-पास के स्थानों में तापमान में बदलाव कम होता है। समुद्रीय और थलीय समीरों (sea and land breezes) के माध्यम से समुद्र आस-पास के स्थानों पर अपना प्रभाव डालता है, जो तापमान को नियंत्रित करता है।

वायुराशियों, महासागरीय धाराओं और स्थानीय हवाओं का प्रभाव

गर्म वायुराशियों के प्रभाव वाले स्थान उच्च तापमान का अनुभव करते हैं (इसके विपरीत भी सही है)।

तट के पास स्थित स्थान जहाँ गर्म महासागरीय धाराएँ प्रवाहित होती हैं, वहाँ भी उच्च तापमान होगा (इसके विपरीत भी सही है)।
उदाहरण के लिए: गल्फ स्ट्रीम (Gulf Stream) या उत्तरी अटलांटिक प्रवाह (North Atlantic Drift) पश्चिमी यूरोप के तटीय क्षेत्रों को गर्म और बंदरगाहों को बर्फ मुक्त रखते हैं। अन्य बंदरगाह जो उसी अक्षांश पर स्थित हैं, लेकिन ठंडी धाराओं के प्रभाव में हैं, वे कई सर्दियों के महीनों के लिए जमे रहते हैं, जैसे की उत्तर-पूर्वी कनाडा में, जो ठन्डे लैब्राडोर धारा (Labrador current) के प्रभाव में रहता है।

स्थानीय हवाएं, जैसे की फोहन (Fohn), चिनूक (Chinook), लू (Loo) भी तापमान को काफी प्रभावित करती हैं।

सारांश

पृथ्वी के विभिन्न भागों द्वारा प्राप्त ऊष्मा समान नहीं होती है → तापमान भिन्न होता है → यह वातावरण में दबाव-अंतर का कारण बनता है → हवाएँ ऊष्मा को एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में स्थानांतरित करती हैं




तापमान का वैश्विक वितरण

समतापी (Isotherms) - समान तापमान वाले स्थानों को मिलाने वाली रेखाएँ।

जुलाई में समतापी रेखाएं आमतौर पर अक्षांश के समानांतर चलती हैं। लेकिन वे अन्य महीनों में इस सामान्य प्रवृत्ति से विचलन दिखाती हैं, जिसमें जनवरी का महीना सबसे अधिक विचलन दिखाता है।

deviation of isotherms in July

deviation of isotherms in January

उत्तरी गोलार्ध में समताप रेखा का विचलन अधिक क्यों होता है?

सामान्य प्रवृत्ति से विचलन, जुलाई की तुलना में जनवरी में अधिक स्पष्ट रूप से दिखता है, विशेषकर उत्तरी गोलार्ध में। ऐसा इसलिए है क्योंकि दक्षिणी गोलार्ध की तुलना में उत्तरी गोलार्ध में भूमि सतह क्षेत्र का प्रतिशत अधिक है। भूमि तेजी से गर्म होती है और तेजी से ठंडी होती है जिससे तापमान में अधिक परिवर्तन होता है।

समतापी (Isotherms), दक्षिणी गोलार्द्ध में अक्षांशों के अपेक्षाकृत अधिक समानांतर रहते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि यहाँ का अधिकांश क्षेत्र महासागर है। समुद्र के प्रभाव से तापमान में उतार-चढ़ाव कम होता है।

जनवरी में समताप रेखाएं महासागर के ऊपर उत्तर की ओर और महाद्वीप के ऊपर दक्षिण की ओर क्यों विचलित हो जाती हैं?

ऐसा इसलिए है क्योंकि उत्तरी गोलार्ध में उस समय सर्दी होती है और समुद्र की तुलना में भूमि ठंडी होती है (इसलिए भूमध्य रेखा के करीब की भूमि पर भी तापमान उतना ही होता है, जितना कि बहुत अधिक अक्षांशों पर समुद्र में)।

इसी तरह, दक्षिणी गोलार्ध में इस समय गर्मी होती है और समुद्र की तुलना में भूमि गर्म होती है (इसलिए दक्षिणी ध्रुव के करीब की भूमि पर भी तापमान उतना ही होता है, जितना कि बहुत कम अक्षांशों पर समुद्र में)।

तापमान का व्युत्क्रमण

आम तौर पर, क्षोभमंडल में ऊंचाई में वृद्धि के साथ तापमान घटता है (सामान्य ह्रास दर के साथ)।

तापमान व्युत्क्रमण (Inversion of temperature) - जब सामान्य ह्रास दर (normal lapse rate) उलट जाती है। यानी क्षोभमंडल में ऊंचाई बढ़ने के साथ तापमान बढ़ने लगता है।

यह आम तौर पर केवल एक छोटी अवधि के लिए होता है।

तापमान व्युत्क्रमण को जन्म देने वाली स्थितियां

  • जब पृथ्वी ऊपर की हवा से ठंडी हो - जैसे ध्रुवीय क्षेत्रों में।
    यह अन्य स्थानों पर भी संभव है - उदा. सर्दियों की रात में बादल रहित आकाश, रात के दौरान दिन की गर्मी को विकीर्ण करने में सहायता प्रदान कर सकता है। तो, सुबह-सुबह, पृथ्वी ऊपर की हवा की तुलना में ठंडी हो सकती है।

  • हवा के बहाव के कारण पहाड़ों में - ठंडी हवा गर्म हवा की तुलना में भारी होती है, और इसलिए नीचे घाटियों की ओर बहती है, और इसके ऊपर गर्म हवा होती है।

तापमान के व्युत्क्रमण के प्रभाव

  • कोहरा और स्मॉग - तापमान व्युत्क्रमण वाली परत के नीचे धुआं और धूल के कण जमा हो जाते हैं। यह सुबह कोहरे (fog) और धुंध (smog) को जन्म देता है (विशेषकर सर्दियों के मौसम में)।

  • क्यूंकि पहाड़ियों में रात में ठंडी हवा नीचे की ओर बहती है, इसलिए ऊपर पहाड़ियों पर स्तिथ पौधे और फसलें पाले से होने वाले नुकसान से बच जाते हैं।

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