विभिन्न प्रकार की हवाएं
इस लेख में हम पृथ्वी पर पाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की हवाओं का अध्ययन करेंगे, चाहे वे ग्रह स्तर पर चलती हों या स्थानीय हों।
सामान्य वायुमंडलीय परिसंचरण
सामान्य वायुमंडलीय परिसंचरण (General Atmospheric Circulation), दबाव के अंतर के कारण, ग्रह स्तर पर हवा की गति है।
सामान्य वायुमंडलीय परिसंचरण, महासागरीय धाराओं का भी कारण बनता है, जो पृथ्वी की जलवायु को प्रभावित करते हैं।
सामान्य वायुमंडलीय परिसंचरण को समझने के लिए, हमें सेल या कोशिकाओं (Cells) की अवधारणा को समझने की आवश्यकता है।
सेल क्या होते हैं?
दबाव पेटियों (pressure belts) की उपस्थिति के कारण सतह से ऊपर और फिर नीचे की ओर वायु परिसंचरण को सेल या वायु कोशिका कहा जाता है।
ऐसी तीन प्रमुख सेल हैं - हैडली (Hadley), फेरेल (Ferrel) और पोलर (Polar)।
ये तीन सेल, ऊष्मा ऊर्जा को निम्न अक्षांशों से उच्च अक्षांशों में स्थानांतरित करती हैं।
आइए इनका विस्तार से अध्ययन करें।
हैडली सेल (Hadley Cell)
अंतर-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (Inter-Tropical Convergence Zone, ITCZ) में उच्च सूर्यातप → संवहन के कारण वायु ऊपर उठती है → भूमि पर निम्न दाब उत्पन्न होता है।
उष्ण कटिबंध (tropics) से आने वाली हवाएँ इस निम्न दबाव वाले क्षेत्र पर अभिसरण (converge) करती हैं - पुरवाई (easterlies) / व्यापारिक हवाओं (trade winds) के रूप में। ये हवाएँ पश्चिम की ओर बहती हैं और सतह के पास होती हैं।
अभिसरण वायु, संवहन सेल (convective cell) के साथ ऊपर उठती हैं।
ऊपर उठती हवा क्षोभमंडल (troposphere) के शीर्ष पर पहुँचती है और ध्रुवों की ओर बढ़ती है → जमीन पर गिरती है और एक उपोष्णकटिबंधीय उच्च वायुदाब का छेत्र (subtropical high) बनाती है।
हवा क्यों और कहाँ नीचे आती है?
जैसे ही हवा ध्रुवों की ओर बढ़ती है, यह लगभग 30° N और 30° S पर जमा हो जाती है। इसका एक हिस्सा जमीन की तरफ नीचे गिरने लगता है।
साथ ही, जैसे-जैसे हवा ऊपर उठती है, यह 30° N और 30° S अक्षांशों तक पहुंचने तक ठंडी हो जाती है। ठंडी हवा सघन होती है और इसलिए भारी होती है। तो, यह डूब जाती है।
फेरेल सेल (Ferrel Cell)
उच्च अक्षांशों (अर्थार्थ ध्रुव की ओर से) और भूमध्य रेखा की ओर से आने वाली हवाएं, मध्य अक्षांशों पर आकर जमीन की तरफ डूबने लगती हैं, जिससे उच्च दबाव का क्षेत्र बनता है।
जमीन पर हवा भूमध्य रेखा की ओर पूर्वी हवाओं (easterlies) के रूप में, और ध्रुवों की ओर पछुआ हवा (westerlies) के रूप में बहती है।
फेरेल सेल में हवा की गति, हैडली सेल में वायु प्रवाह के विपरीत होती है।
यहाँ हवा:
सतह के पास ध्रुव और पूर्व की ओर बहती है (दोनों गोलार्द्धों में 30° और 60° अक्षांशों के बीच की पश्चिमी हवाओं, westerlies के रूप में) और
वातावरण में उचाई पर भूमध्य रेखा की ओर।
ध्रुवीय सेल (Polar Cell)
मध्य अक्षांशों से पछुआ पवनें (Westerlies) भूमि के साथ-साथ उच्च अक्षांश क्षेत्रों की ओर बढ़ती हैं।
इसके अलावा, ठंडी घनी हवा ध्रुवों के पास नीचे गिरने लगती है → फिर ये मध्य अक्षांशों की ओर, ध्रुवीय पूर्वी हवाओं (polar easterlies) के रूप में जमीन के साथ-साथ चलती हैं।
ये हवाएँ फिर वातावरण में ऊपर उठती हैं, और अधिक ऊँचाई पर पहुंचकर भूमध्य रेखा और ध्रुव की ओर बढ़ती हैं।
स्थानीय हवाएं
समुद्र और थल समीर
समुद्र समीर (Sea breeze) - हवा समुद्र से जमीन की ओर चलती है
दिन के दौरान भूमि तेजी से गर्म होती है और समुद्र की तुलना में ज्यादा गर्म हो जाती है → भूमि के ऊपर हवा ऊपर उठती है, जिससे कम दबाव का क्षेत्र बनता है → समुद्र से जमीन की ओर दबाव प्रवणता (pressure gradient) बनती है।थल समीर (Land breeze) - हवा जमीन से समुद्र की ओर चलती है
रात में स्थिति उलट जाती है।
भूमि तेजी से गर्मी खो देती है और समुद्र की तुलना में ज्यादा ठंडी हो जाती है → भूमि से समुद्र की ओर दबाव प्रवणता (pressure gradient) निर्मित होती है।
घाटी समीर और पर्वत समीर
घाटी समीर (Valley breeze) - घाटी से ऊपर की ओर बढ़ने वाली हवा। यह दिन में चलती है।
ढलानें गर्म हो जाती हैं → ढलानों की हवा ऊपर की ओर चलती है और इस वजह से खाली स्थान बनता है → घाटी से आने वाली हवा इस खाली स्थान को भरती हैपर्वत समीर (Mountain wind) - नीचे, घाटी की ओर जाने वाली हवा। यह रात में चलती है।
ढलानें ठंडी हो जाती हैं → ढलानों की हवा ठंडी हो जाती है और इसलिए घनी हो जाती है → यह हवा घाटी में नीचे उतरती है