समुद्र के पानी की लवणता
इस लेख में, हम समुद्र के पानी की लवणता की अवधारणा, इसकी विविधता और प्रभावों का अध्ययन करने जा रहे हैं।
- लवणता क्या होती है?
- महासागरीय लवणता को प्रभावित करने वाले कारक
- महासागरों में लवणता में भिन्नता
लवणता क्या होती है?
लवणता (Salinity) एक ऐसा शब्द है जिसका उपयोग यह परिभाषित करने के लिए किया जाता है कि समुद्र के पानी का एक विशेष द्रव्यमान कितना खारा है। यानी यह समुद्र के पानी में घुले नमक की मात्रा को दर्शाता है।
हम अक्सर यूनिट पार्ट्स प्रति हजार (o/oo) या units parts per thousand (ppt) का उपयोग करके इसको निरूपित करते हैं। यानी समुद्र के पानी के 1000 ग्राम (या 1 किलो) में कितने ग्राम नमक मौजूद है।
खारा पानी (Brackish Water), ताजे पानी (Fresh Water) और समुद्र के पानी (Sea Water) के बीच कहीं होता है। इसमें ताजे पानी की तुलना में अधिक नमक होता है, लेकिन समुद्र के पानी की तुलना में कम नमक होता है।
यदि किसी जल निकाय में नमक की मात्रा 24.7 o/oo से अधिक है, तो उस जल को समुद्री जल कहा जाएगा। उसके कम है तो उसे खारा पानी (brackish water) कहेंगे।
महासागरीय लवणता को प्रभावित करने वाले कारक
आइए, अब हम उन विभिन्न कारकों को देखें जो किसी जल निकाय की लवणता को प्रभावित करते हैं। हमारा ध्यान महासागरों पर अधिक होगा, लेकिन नीचे वर्णित कारक सामान्य रूप से किसी भी जल निकाय पर लागू होंगे।
हवा
हवा का सतही समुद्री जल के प्रवाह पर प्रभाव पड़ता है। यह महासागरों में पानी स्थानांतरित करती है, और इसलिए यह महासागरों की लवणता को प्रभावित करती है।
महासागरीय धाराएं
महासागरीय धाराएँ भी महासागरों में जल वितरित करती हैं। इसलिए, वे महासागरों में लवणता को प्रभावित करती हैं।
समुद्र की सतह के पास लवणता
वाष्पीकरण
समुद्र की सतह के पास लवणता, प्राप्त सौर विकिरण की मात्रा और तापमान से बहुत अधिक प्रभावित होती है।
जितना अधिक सौर विकिरण प्राप्त होगा, और जितना अधिक तापमान होगा, वाष्पीकरण की प्रक्रिया उतनी ही तीव्र होगी। जैसे-जैसे पानी का वाष्पीकरण होता है, बचा हुआ पानी अधिक खारा हो जाता है।
वर्षण
समुद्र की सतह के पास लवणता, प्राप्त वर्षा की मात्रा से भी बहुत अधिक प्रभावित होती है।
वर्षा मीठे पानी की होती है जिसमें नमक की मात्रा कम होती है। तो, जितनी अधिक बारिश होगी, सतह के पास लवणता उतनी ही कम होगी।
भूमि के पास स्तिथ समुद्री पानी की लवणता
डेल्टा के पास लवणता
तटीय क्षेत्रों के पास समुद्र के पानी की लवणता आमतौर पर कम होती है, खासकर नदी के डेल्टा के पास। ऐसा इसलिए है क्योंकि नदियां ताजा पानी ले जाती हैं और इसलिए जहां वे समुद्र में गिरती हैं, वहां लवणता गिरना तय है।
ध्रुवों के पास लवणता
ध्रुवों के पास लवणता ध्रुवीय बर्फ से प्रभावित होती है। जैसे-जैसे ध्रुवीय बर्फ पिघल रही है, हम ध्रुवों के पास समुद्र के पानी में लवणता में गिरावट देख सकते हैं।
यहाँ लवणता मौसमी रूप से बदलती रहती है। जब बर्फ पिघलती है, तो समुद्र के पानी की लवणता कम हो जाती है; और जब बर्फ जम जाती है, तो समुद्र के पानी की लवणता फिर से बढ़ जाती है।
ये तीन कारक सहसंबद्ध हैं, अर्थात वे एक दूसरे को प्रभावित करते हैं।
- ठंडा पानी सघन होता है, और इसलिए यह गर्म पानी के नीचे डूब जाता है।
- अधिक खारा पानी भी सघन होता है, और इसलिए यह कम खारे पानी के नीचे डूब जाता है।
जैसा कि आप अनुमान लगा सकते हैं, ठंडा खारा पानी सबसे घना होता है, जबकि गर्म मीठा पानी सबसे कम घना होता है।
महासागरों में लवणता में भिन्नता
चूंकि महासागरों की लवणता को प्रभावित करने वाले बहुत सारे कारक हैं, इसलिए यह स्वाभाविक है कि विभिन्न महासागरों में और यहां तक कि समुद्र के विभिन्न हिस्सों में भी नमक की सघनता में व्यापक भिन्नता होगी।
हम इस भिन्नता का दो भागों में अध्ययन करेंगे:
- विभिन्न महासागरों में लवणता कैसे भिन्न होती है, अर्थात क्षैतिज भिन्नता (Horizontal variation)
- समुद्र में नीचे जाने पर लवणता कैसे बदलती है, यानी लंबवत भिन्नता (Vertical variation)
लवणता का क्षैतिज वितरण
विभिन्न महासागरों और समुद्रों में लवणता बहुत भिन्न-भिन्न होती है। यह ऋतुओं के साथ भी बदलती रहती है। आइए, हम इसकी औसत और चरम सीमाओं पर एक नज़र डालें। इसके बाद, हम विश्व के प्रमुख महासागरों में लवणता भिन्नताओं पर एक नज़र डालेंगे।
खुले समुद्र की औसत लवणता 33 o/oo से 37 o/oo तक होती है।
हालांकि, गर्म और शुष्क क्षेत्रों में, वाष्पीकरण की उच्च दर के कारण, लवणता 70 o/oo तक बढ़ सकती है। एक बहुत प्रसिद्ध उदाहरण अधिकांशतः भूमि से घिरा लाल समुद्र (Red sea) है, जिसकी औसत लवणता 41 o/oo तक होती है।
ज्वारनदमुख/मुहाना (estuaries) और आर्कटिक (Arctic) में आपको मौसमी बदलाव देखने को मिलेंगे। यहाँ लवणता 0 से 35 o/oo तक भिन्न हो सकती है। उदाहरण के लिए, भारतीय उपमहाद्वीप में मानसून के मौसम (जुलाई-अगस्त) के दौरान, नदियों में ताजे पानी का अत्यधिक प्रवाह होता है और इसलिए आप पाएंगे कि बंगाल की खाड़ी और यहां तक कि अरब सागर के पास के मुहाने ताजे पानी से भर जाते हैं। आर्कटिक में गर्मी के मौसम के दौरान भी यही सच है, जब ध्रुवीय बर्फ पिघलती है, जिससे बहुत सारा ताजा पानी समुद्र में आता है।
ज्वारनदमुख या मुहाना (estuaries) आंशिक रूप से बंद, तटीय जल निकाय होते हैं, जहां नदियों का ताजा पानी महासागरों के खारे पानी से मिलता है।
अब, आइए दुनिया के तीन प्रमुख महासागरों में लवणता भिन्नता पर एक नजर डालते हैं।
प्रशांत महासागर में लवणता भिन्नता
उत्तरी गोलार्ध में: ध्रुवों से ताजे पिघले पानी के प्रवाह के कारण, आर्कटिक महासागर के पास पश्चिमी भागों पर प्रशांत महासागर की लवणता लगभग 31 o/oo तक गिर जाती है।
दक्षिणी गोलार्ध में: जैसे ही हम अंटार्कटिक की ओर बढ़ते हैं, प्रशांत महासागर की लवणता 15° - 20° दक्षिण के बाद लगभग 33 o/oo तक गिर जाती है।
अटलांटिक महासागर में लवणता भिन्नता
अटलांटिक महासागर में औसत लवणता लगभग 36 o/oo होती है। अधिकतम लवणता (लगभग 37 o/oo), 15° और 20° अक्षांशों के बीच देखी जाती है। जैसे-जैसे हम ध्रुवों की ओर बढ़ते हैं, यह घटती जाती है।
अब, अटलांटिक महासागर से जुड़े विभिन्न समुद्रों के लवणता स्तरों पर एक नज़र डालते हैं:
- उत्तरी सागर (North Sea): यह उच्च अक्षांशों में, ध्रुवों के पास स्थित है, लेकिन फिर भी यहाँ लवणता का स्तर अपेक्षा से अधिक होता है। यह उत्तरी अटलांटिक बहाव (North Atlantic Drift) के कारण है, जो अपने साथ बहुत अधिक खारा पानी लाता है।
- भूमध्य सागर (Mediterranean Sea): वाष्पीकरण की अत्यधिक दर के कारण यहाँ लवणता का स्तर अधिक है।
- बाल्टिक सागर (Baltic Sea): नदियों द्वारा लाए जा रहे ताजे पानी की अधिकता के कारण यहां लवणता का स्तर कम है।
- काला सागर (Black Sea): बाल्टिक सागर की तरह, यहाँ भी नदियों से ताजे पानी के आने के कारण खारापन कम है।
हिंद महासागर में लवणता भिन्नता
हिंद महासागर में औसत लवणता लगभग 35 o/oo है।
हिंद महासागर में दो प्रमुख समुद्र हैं। आइए एक-एक करके उनका अध्ययन करें।
- बंगाल की खाड़ी (Bay of Bengal): नदियों से मीठे पानी के बहुत अधिक प्रवाह के कारण यहाँ लवणता का स्तर कम है। यह घटना मानसून के मौसम के दौरान और भी अधिक स्पष्ट होती है।
- अरब सागर (Arabian Sea): तुलनात्मक रूप से यहाँ लवणता का स्तर अधिक है। क्योंकि यह बंगाल की खाड़ी की तुलना में नदियों से कम मात्रा में मीठा पानी प्राप्त करता है। इसके अलावा, यहाँ वाष्पीकरण दर अधिक है।
लवणता का लंबवत वितरण
महासागरों में गहरे पानी की लवणता लगभग स्थिर रहती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि लवणता को प्रभावित करने वाले कारकों का गहराई पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ता है।
परन्तु, हवाओं और महासागरीय धाराओं के कारण पानी के वितरण के साथ-साथ, वाष्पीकरण, वर्षा और नदियों से मीठे पानी की आमद जैसी घटनाओं के कारण, समुद्र के पानी की सतह के पास लवणता बहुत भिन्न-भिन्न हो सकती है।
लवणीय जल के अधिक सघन होने के कारण, निम्न लवणता वाला जल इसके ऊपर रहता है। दूसरे शब्दों में, यदि अन्य कारक (जैसे तापमान) स्थिर हैं, तो अधिक खारा पानी, कम खारे पानी के नीचे डूब जाता है। यह लवणता द्वारा उत्पन्न स्तरीकरण (stratification by salinity) है।