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अंतरिक्ष में पृथ्वी किस तरह घूमती है?

इस लेख में हम यूपीएससी परीक्षा से सम्बंधित, भूगोल के विषय Movement of Earth in Space, in Hindi के बारे में अध्ययन करेंगे।

पृथ्वी दो अलग-अलग तरीकों से अंतरिक्ष में घूमती है:

  • यह हर 24 घंटे में एक बार पश्चिम से पूर्व की ओर अपनी धुरी पर घूमती है → यही दिन और रात का कारक बनता है|
  • यह प्रत्येक 365+ दिनों में एक बार अपनी कक्षा में सूर्य का चक्कर भी लगाती है → यही वर्ष का कारक बनता है।
    revolution of earth

यह सूर्य के चारों ओर घूमते हुए अपनी धुरी पर झुकी रहती है → इसी कारण दिन और रात की लंबाई बदलती रहती है, और दोपहर के सूरज की स्तिथि भी बदलती रहती है (इसी कारण मौसम बदलते हैं)

उदाहरण के लिए, गर्मी का मौसम:

  • दिन लंबे होते हैं → अधिक सौर विकिरण पृथ्वी को स्थानांतरित होती है → इस कारण तापमान बढ़ता है
  • सूर्य अधिक सर के ऊपर होता है (apparent altitude of the midday sun) → अधिक सौर विकिरण पृथ्वी को स्थानांतरित होती है → इस कारण भी तापमान बढ़ता है

सर्दी के मौसम में स्थितियां इससे विपरीत होती हैं।

Table of Contents
  • पृथ्वी का घूर्णन
  • पृथ्वी का परिक्रमण
  • पृथ्वी की झुकी हुई धुरी
  • पृथ्वी की झुकी हुई धुरी से प्राप्त सौर विकिरण पर क्या असर पड़ता है?

पृथ्वी का घूर्णन (Rotation of Earth)

पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है।
earth rotation

दिन और रात का कारण*: पृथ्वी की सतह का एक पक्ष दिन के उजाले का अनुभव करता है। दूसरा पक्ष, जो सूर्य की किरणों से दूर है, वह अँधेरे में होगा| तो, यह सूर्योदय और सूर्यास्त का कारण बनता है।

वास्तव में सूर्य स्थिर है और पृथ्वी ही घूमती है।

पृथ्वी का परिक्रमण (Revolution of Earth)

पृथ्वी 18.5 मील प्रति सेकंड (लगभग 30 किमी/सेकंड) की गति से एक अण्डाकार कक्षा में सूर्य की परिक्रमा करती है।

एक पूर्ण परिक्रमण में 365 दिन या लगभग एक वर्ष का समय लगता है।

  • पेरिहेलियन (Perihelion) - जब पृथ्वी अपने परिक्रमण के दौरान सूर्य के सबसे निकट होती है (3 जनवरी)
  • एफ़ेलियन (Aphelion) - जब पृथ्वी अपने परिक्रमण के दौरान सूर्य से सबसे दूर होती है (4 जुलाई)

perihelion and aphelion

पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी में वार्षिक भिन्नता (अण्डाकार कक्षा के कारण) पृथ्वी पर प्राप्त सौर विकिरण में केवल मामूली वार्षिक भिन्नता का कारण बनती है। सूर्य से दूरी का दिन और रात की लंबाई या दोपहर के सूर्य की ऊंचाई पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ता है (इसलिए इस वजह से ऋतुओं पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ता है)।

नोट

क्या आप जानते हैं कि जब पृथ्वी पेरिहेलियन (Perihelion) स्थिति में होती है (अर्थात 3 जनवरी को सूर्य के सबसे नजदीक), तो उत्तरी गोलार्ध में सर्दी होती है। क्यों?

पृथ्वी की झुकी हुई धुरी (Tilted Axis of Earth)

पृथ्वी की धुरी अपनी कक्षा के तल से 66½° का कोण बनाती है (angle of 66½ with the plane of its orbit)। या यह कह सकते हैं की यह लंबवत से 23½° झुकी हुई है (tilted by 23½ from the perpendicular)।
earth's tilted axis

इस कारण पृथ्वी के किसी एक गोलार्ध को दूसरे की तुलना में अधिक सौर विकिरण प्राप्त होता है। यदि पृथ्वी का अक्ष इसके तल के लंबवत होता, तो विश्व के सभी भागों में, वर्ष के सभी समय, समान दिन और रात होते।

झुकाव निम्नलिखित को जन्म देता है:

  • दिन और रात की अलग-अलग लंबाई और
  • सूर्य की किरणों के झुकाव के कोण (angle of inclination of the sun’s rays) या दोपहर के सूरज की ऊंचाई (apparent altitude of the midday sun) को बदलता है।

यह विभिन्न मौसमों को जन्म देता है।

पृथ्वी की झुकी हुई धुरी से प्राप्त सौर विकिरण पर क्या असर पड़ता है?

दिन और रात की अलग-अलग लंबाई

दिन और रात की अलग-अलग लंबाई:
earth positions during its revolution

  • विषुव के दिन सूर्य भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर होता है (Overhead sun is on Equator on the day of equinox)
    equinox

  • उत्तरी गोलार्ध में ग्रीष्म संक्रांति के दिन सूर्य कर्क रेखा के ऊपर होता है (Overhead sun is over Tropic of Cancer on the day of summer solstice in northern hemisphere)
    summer solstice

  • उत्तरी गोलार्ध में शीतकालीन संक्रांति के दिन सूर्य मकर रेखा के ऊपर होता है (Overhead sun is over Tropic of Capricorn on the day of winter solstice in northern hemisphere)
    winter solstice

यदि कोई गोलार्द्ध (उत्तर या दक्षिण) सूर्य से दूर झुका हुआ है तो:
दिन की लंबाई कम हो जाएगी - इसलिए पृथ्वी के उस हिस्से को सूरज की गर्मी कम समय के लिए प्राप्त होगी।

सूर्य की किरणों के झुकाव के कोण को बदलता है

झुकी हुई धुरी, सूर्य की किरणों के झुकाव के कोण या दोपहर के सूरज की ऊंचाई को बदल देती है।

किरणों के झुकाव का कोण निम्नलिखित पर निर्भर करता है:

  • किसी स्थान का अक्षांश - यह इस सीमा को निर्धारित करता है कि किसी स्थान पर सूर्य आसमान में कितना सीधा ऊपर आ सकता है।
    अक्षांश जितना ज्यादा होगा, सूर्य की किरणों का पृथ्वी की सतह के साथ कोण उतना ही कम होगा, जिसके परिणामस्वरूप सूर्य की किरणें तिरछी धरती पर आएंगी।
    किसी स्थान का अक्षांश स्थायी होता है। इसलिए, पृथ्वी पर औसत वार्षिक तापमान (average annual temperature) अक्षांश के साथ बदलता है।

  • वर्ष में किसी विशेष समय पर दोपहर के सूर्य की ऊंचाई - गर्मियों के समय में सूर्य किसी भी स्थान पर सर्दियों की तुलना में तुलनात्मक रूप से आसमान में अधिक सीधा ऊपर होगा। यानी उसकी किरणें धरती पर खड़ी गिरेंगीं|

तिरछी किरणें पृथ्वी की सतह पर कम ऊष्मा क्यों पहुँचाती हैं?
  • तिरछी किरणें वायुमंडल की अधिक गहराई से होकर गुजरती हैं। अतः, अवशोषण (absorption), प्रकीर्णन (scattering) और विसरण (diffusion) के माध्यम से अधिक ऊर्जा खो जाती है।
    slant rays

  • तिरछी किरणें बड़े क्षेत्र में भी फैलती हैं। अतः, ऊर्जा वितरित हो जाती है और प्रति इकाई क्षेत्र में प्राप्त ऊर्जा स्वतः ही घट जाती है।

सारांश:
slant rays summary

सारांश

दोपहर में सर के ठीक ऊपर आने वाला सूर्य, कटिबंधों की सीमाओं के बीच ही रहता है। अर्थार्थ कर्क रेखा (Tropic of Cancer) के उत्तर में, या मकर रेखा (Tropic of Capricorn) के दक्षिण में कभी भी सूर्य सिर के ठीक ऊपर नहीं आता है|

  • कटिबंधों के भीतरी हिस्सों में (Within the tropics):
    दोपहर का सूरज अपनी ऊर्ध्वाधर स्थिति से बहुत कम बदलता है| दिन और रातों की लम्बाई लगभग पूरे वर्ष बराबर रहती हैं → चारों मौसम लगभग अप्रभेद्य होते हैं, अर्थार्त बहुत अंतर नहीं आता है।

  • आर्कटिक सर्कल (66 ½° N.) और अंटार्कटिक सर्कल (66 ½° S.) से परे:
    यहाँ अँधेरा या दिन का उजाला लगातार 6 महीने तक रहता है| यहाँ छोटे समयकाल की गर्मियों में भी सूरज आसमान में कभी बहुत ऊँचा नहीं पाया जाता है → इसलिए इन इलाकों में हमेशा ठंड रहती है।

  • समशीतोष्ण क्षेत्रों में (In temperate regions):
    दोपहर के सूरज की ऊर्ध्वाधर स्थिति काफी बदलती रहती है| दिन और रात की लंबाई भी बहुत बदलती रहती है → इसलिए यहाँ अलग-अलग मौसम साफ़-साफ़ प्रतिलक्षित होते हैं, अर्थार्थ वसंत, गर्मी, शरद ऋतु और सर्दी (spring, summer, autumn and winter)।

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