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प्रवासन के परिणाम (Consequences of Migration)

स्रोत क्षेत्र (source region) और गंतव्य (destination) दोनों पर प्रवासन के परिणामों के विभिन्न आयाम हैं। हम उनमें से अधिकांश को यहां कवर करने का प्रयास करेंगे।

प्रवासन के परिणाम

प्रवासन के आर्थिक परिणाम (Economic Consequences of Migration)

आइए सबसे पहले सकारात्मक परिणामों के बारे में बात करते हैं। स्रोत क्षेत्र को लाभ:

  • अंतर्राष्ट्रीय (international) प्रवासी अपने देशों को प्रेषण (remittances) वापस भेजते हैं। उदाहरण के लिए, भारत प्रेषण के माध्यम से बहुत अधिक विदेशी मुद्रा अर्जित करता है। इस संबंध में शीर्ष पर रहने वाले राज्य पंजाब, केरल, और तमिलनाडु हैं।
  • अंतर-राष्ट्रीय (intra-national) प्रवासी अपने राज्यों में प्रेषण वापस भेजते हैं। हालांकि यह विदेशी उत्प्रवास (foreign emigration) की तुलना में बहुत कम होता है, लेकिन फिर भी यह मददगार तो है ही। यह स्रोत क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को विकसित करने में मदद करता है, उदा. पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, और उड़ीसा के ग्रामीण क्षेत्र।

बेशक, गंतव्य क्षेत्रों को भी लाभ होता है। उदाहरण के लिए, पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, और उड़ीसा के ग्रामीण क्षेत्रों के श्रमिक 1970 के दशक के दौरान पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में चले गए और इन क्षेत्रों में हरित क्रांति लाने में मदद की।

हालांकि, प्रवास के कुछ नकारात्मक परिणाम भी हैं।

  • चूंकि शहरों, विशेष रूप से बड़े शहरों में प्रवास लगभग अनियंत्रित है, इससे इन जगहों पर भीड़भाड़ हो गई है, और इससे अमानवीय जीवन की स्थिति, झुग्गी-झोपड़ी और गंदगी हो गई है। आप देश के अधिक औद्योगिक रूप से विकसित क्षेत्रों, जैसे महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु और दिल्ली में स्लम क्षेत्रों (slum areas) की अधिकता देखेंगे।
  • हालांकि स्रोत क्षेत्रों को प्रेषण मिलता है, अर्ध-कुशल और कुशल कार्यबल के बहिर्वाह से वहां अच्छे मानव संसाधनों की कमी होती है। इस ब्रेन ड्रेन (brain drain) की अपनी छिपी हुई लागत है - स्थानीय विकास की कमी, उचित शोध कार्य की कमी, बाहरी अर्थव्यवस्थाओं पर निर्भरता, आदि।

प्रवासन के जनसांख्यिकीय परिणाम (Demographic Consequences of Migration)

  • प्रवास शहरों, विशेषकर बड़े शहरों, की जनसंख्या वृद्धि के मुख्य कारणों में से एक है। ग्रामीण क्षेत्रों के लोग अक्सर टियर II और टियर III शहरों को बायपास करते हैं और सीधे महानगरीय शहरों में जाते हैं, क्योंकि यहां उन्हें अधिक आर्थिक अवसर मिलते हैं।
  • चूंकि अधिकांश आर्थिक प्रवास युवा पुरुषों द्वारा किया जाता है, यह स्रोत और गंतव्य दोनों में जनसांख्यिकीय असंतुलन का कारण बनता है। स्रोत क्षेत्रों में अधिक महिला और वृद्ध लोग रह जाते हैं।

प्रवासन के सामाजिक परिणाम (Social Consequences of Migration)

प्रवासन के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों सामाजिक परिणाम होते हैं।

सकारात्मक सामाजिक परिणाम:

  • प्रवासन ने विभिन्न क्षेत्रों, विविध संस्कृतियों और देशों के लोगों को आपस में मिलाया है। इसने एक मिश्रित संस्कृति के विकास और कई संकीर्ण रूढ़ियों को तोड़ने में मदद की है।
  • प्रवासन सामाजिक परिवर्तन लाने में उत्प्रेरक का काम करता है। हम सभी जानते हैं कि किसी चीज़ का प्रत्यक्ष अनुभव उसके बारे में सुनने से कहीं अधिक प्रभावशाली होता है। परिवार नियोजन, बालिका शिक्षा, आदि का संदेश सरकार और सामाजिक संस्थाओं ने ग्रामीण क्षेत्रों में कितना भी फैलाया हो, उसका प्रभाव सीमित होता है। लेकिन जब ग्रामीण लोग शहरी क्षेत्रों में प्रवास करते हैं और स्वयं परिवर्तन का अनुभव करते हैं, तो इसका उनके मनोविज्ञान पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए, प्रवास के माध्यम से शहर से ग्रामीण क्षेत्रों में नए सामाजिक विचार जाते हैं।

नकारात्मक सामाजिक परिणाम:

  • अत्यधिक प्रवास, भीड़-भाड़ वाले शहर की झुग्गियों में अजनबियों के बीच रहना व्यक्ति के मनोविज्ञान पर गहरा नकारात्मक प्रभाव भी डालता है। स्वच्छ हवा और खुले, हरे-भरे खेतों से भरे गाँव में रहने की कल्पना करें। और फिर अचानक आप एक तंग जगह में रह रहे हैं, शायद इसे दूसरों के साथ साझा भी कर रहे हैं - कोई वेंटिलेशन नहीं, खराब गुणवत्ता वाला पानी, आदि। इसके अलावा दोस्तों की कमी से गुमनामी और सामाजिक शून्यता की भावना पैदा हो सकती है, जो आगे बढ़कर अपराध, शराब, ड्रग्स, आदि का वीभत्स रूप ले सकती है।
  • गांवों से पुरुषों का अत्यधिक प्रवास वहां कार्यबल की समस्या का कारण बनता है, जो महिलाओं को (घर पर काम करने के अलावा) खेतों में भी काम करने के लिए मजबूर करता है। इससे उन पर काम का बोझ और बढ़ जाता है और उनकी विकास क्षमता कम हो जाती है।
  • जब महिलाएं उच्च शिक्षा या रोजगार के लिए नए स्थानों, विशेष रूप से नए शहरों में प्रवास करती हैं, तो वे समाज में अधिक स्वायत्तता और बेहतर सामाजिक-आर्थिक स्थिति का आनंद लेने लगती हैं। हालांकि, ये महिलाएं सबसे कमजोर स्तिथि में भी होती हैं, खासकर शुरुआती कुछ वर्षों में।

प्रवासन के पर्यावरणीय परिणाम (Environmental Consequences of Migration)

बड़े शहरों में अत्यधिक प्रवास अक्सर भीड़भाड़ और अनियोजित विकास (जैसे अवैध कॉलोनियों, मलिन बस्तियों, आदि) के मुद्दे का कारण बनता है। यह बदले में शहर की अपराध दर और अन्य सामाजिक मुद्दों में वृद्धि का कारण बनता है।

अत्यधिक जनसंख्या उस स्थान के प्राकृतिक संसाधनों को एक स्थायी तरीके से समाप्त भी कर देती है, उदा. दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में लोगों को अक्सर भूजल की कमी, वायु प्रदूषण, सीवेज के अनुचित निपटान और ठोस कचरे के प्रबंधन के संबंध में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। जरा गौर कीजिए कि पिछले कुछ दशकों में दिल्ली में भूजल का स्तर कितनी तेजी से गिरा है, या बस यमुना की स्थिति (जो दिल्ली से होकर गुजरती है) पर एक नज़र डालें - आपको काफी-कुछ समझ आ जायेगा।

मलिन बस्तियों की समस्या (Problems of Slums)

क्यूंकि अधिकांश भारतीय गांवों में रोजगार के सीमित अवसर हैं (चूंकि गांवों में ज्यादातर प्राथमिक गतिविधियां ही की जाती हैं, जैसे कि खेती), कई ग्रामीण शहरों की ओर पलायन करते हैं।

यह हमारे शहरी केंद्रों को अलग-अलग विषमताओं वाला (differentiated heterogeneous entities) बनाता है - इसी वजह से यहाँ सामाजिक-आर्थिक, राजनीतिक-सांस्कृतिक और विकास के अन्य संकेतकों में व्यापक अंतर होता है (गांवों और छोटे शहरों की तुलना में बहुत अधिक)।

स्पेक्ट्रम के एक तरफ ऊंची इमारतें, पॉश कॉलोनियां, फार्म हाउस आदि हैं। इन शहरी स्थानों में रहने वाले अमीर और ताकतवर लोग जीवन की विभिन्न बेहतरीन चीजों का आनंद लेते हैं - चौड़ी सड़कें, स्ट्रीट लाइट, साफ पानी की आपूर्ति, स्वच्छता सुविधाएं, कुएं, विकसित हरित पट्टी, लॉन/पार्क, अच्छे स्कूल, खेल के मैदान, सुरक्षा और गोपनीयता (privacy)।

इस व्यापक स्पेक्ट्रम के दूसरे छोर पर झुग्गी-झोपड़ी और चॉल हैं। शहर के गरीब मजदूर वर्ग को झेलना पड़ रहा है:

  • खराब बुनियादी ढांचा - झोंपड़ी वाली संरचनाएं, असुरक्षित स्थान, अस्वच्छ स्थितियां, खराब वेंटिलेशन, पीने के पानी, प्रकाश और शौचालय की सुविधा जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी, आदि।
  • भीड़भाड़ - घने तरह से भरे हुए घर, और संकरी गलियाँ आग का गंभीर खतरा पैदा करती हैं। हर साल आकस्मिक आग के कारण कई झुग्गियां जल जाती हैं। भीड़भाड़ का लंबे समय में नकारात्मक मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी पड़ता है - कोई गोपनीयता नहीं, सुरक्षा की कोई भावना नहीं अगर आपके पड़ोसी अच्छे नहीं हैं, आदि।
  • बुरी संस्कृति - यहां ज्यादातर गरीब लोग रहते हैं, जो शहरी अर्थव्यवस्था के कम वेतन, उच्च जोखिम वाले, असंगठित क्षेत्रों में काम करते हैं। गरीबी कई सामाजिक बुराइयों की ओर ले जाती है - अपराध, शराब, नशीली दवाओं का दुरुपयोग, यौन कार्य, आदि। भले ही आप एक अच्छे व्यक्ति हों, और अपने जीवन की चुनौतियों को सहन करने के लिए पर्याप्त रूप से लचीले हों, ऐसी जगहों पर बुरी संगत से दूर रहना कठिन होगा। आपके अपराधी गिरोह का हिस्सा बनने या किसी के द्वारा परेशान किए जाने की संभावना बहुत अधिक है। यह सब उदासीनता और अंततः सामाजिक बहिष्कार की भावना का विकास कर सकता है - एक गंभीर आपराधिक जीवन या आत्महत्या की मूल सामग्री।
  • खराब स्वास्थ्य सेवा - यहाँ बीमारी और कुपोषण व्याप्त है, लेकिन क्लीनिक और अस्पतालों की गुणवत्ता खराब है।
  • खराब शिक्षा - यहां के स्कूलों और शिक्षकों की गुणवत्ता आमतौर पर खराब ही होती है, सिवाय शायद कुछ समर्पित गैर सरकारी संगठनों द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों के।
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