वायुमंडलीय परिसंचरण की अवधारणा
‘सौर विकिरण में भिन्नता (variation in solar radiation)' वाले लेख में हमने देखा कि पृथ्वी पर विभिन्न स्थानों द्वारा प्राप्त सूर्यातप कैसे भिन्न-भिन्न होता है। और, तापमान भी।
पृथ्वी की सतह पर तापमान का यह असमान वितरण, वायुमंडलीय दबाव में भिन्नता का कारण बनता है। यह हमारे वायुमंडल में हवा की ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज गति का कारण बनता है।
यहाँ वायुमंडलीय परिसंचरण की प्रक्रिया को दर्शाने वाला एक चित्र दिया गया है:
इस लेख में, हम वायुमंडलीय परिसंचरण की प्रक्रिया में शामिल विभिन्न कारकों का अध्ययन करेंगे।
वायुमण्डलीय दबाव
वायुमंडलीय दबाव में भिन्नता, वायु गति का प्राथमिक कारण है।
वायुमंडलीय दबाव क्या है?
यह समुद्र तल से वायुमंडल के शीर्ष तक एक इकाई क्षेत्र में निहित वायु स्तंभ का औसत भार है।
इसलिए मापे गए वायुमंडलीय दबाव पर ऊंचाई की वजह से आ रहे अंतर को खत्म करने के लिए, किसी भी स्थान पर वायुमंडलीय दबाव को समुद्र के स्तर पर मापा जाता है (ताकि हम अलग-अलग ऊंचाई पर स्तिथ, विभिन्न स्थानों पर दबावों की तुलना कर सकें)।
वायुमंडलीय दबाव से संबंधित कुछ तथ्य
यूनिट - मिलीबार, milibar
समुद्र तल पर औसत वायुमंडलीय दबाव - 1,013.2 मिलीबार।
मापन - पारा बैरोमीटर या एरोइड बैरोमीटर (aneroid barometer)
ऊंचाई के साथ वायुमंडलीय दबाव क्यों कम हो जाता है?
किसी भी स्थान पर ऊंचाई के साथ दबाव कम होता है, क्योंकि जैसे-जैसे हम ऊपर जाते हैं वायु स्तंभ की मात्रा घटती जाती है। साथ ही, गुरुत्वाकर्षण कम होता जाता है, जिससे ऊंचाई बढ़ने पर हवा कम घनी हो जाती है।
अब, वायुमंडलीय दबाव में यह भिन्नता ऊर्ध्वाधर (vertical) या क्षैतिज (horizontal) हो सकती है।
ऊर्ध्वाधर परिवर्तन (Vertical Variation)
निचले वायुमंडल में ऊंचाई के साथ दबाव तेजी से घटता है। (लगभग 1 mb, प्रति 10 मीटर ऊंचाई में वृद्धि के साथ)
हालांकि, कमी की दर हमेशा समान नहीं होती है।
इतनी ज्यादा ऊर्ध्वाधर दबाव प्रवणता (vertical pressure gradient) होने के बावजूद, ऊपर की ओर तेज हवाएं क्यों नहीं चलती हैं?
क्योंकि ऊर्ध्वाधर दबाव प्रवणता, समान लेकिन विपरीत गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा संतुलित होती है।
क्षैतिज परिवर्तन (Horizontal Variation)
दबाव की क्षैतिज भिन्नता, हवा की दिशा और वेग निर्धारित करती है।
समदाब रेखाएँ (Isobars) - समान दाब वाले स्थानों को जोड़ने वाली रेखाएँ।
वायुदाब पेटियों का विश्व वितरण (Pressure belts)
भूमध्यरेखीय निम्न वायुदाब पेटी (Equatorial low) - भूमध्य रेखा के पास दबाव कम होता है।
उपोष्णकटिबंधीय उच्च वायुदाब पेटी (Subtropical highs) - 30° उत्तर और 30° दक्षिण के आसपास उच्च दबाव वाले क्षेत्र/बेल्ट होते हैं।
उप ध्रुवीय निम्न वायुदाब पेटी (Sub polar lows) - 60° उत्तर और 60° दक्षिण के आसपास निम्न दबाव वाले क्षेत्र/बेल्ट होते हैं।
ध्रुवीय उच्च वायुदाब पेटी (Polar highs) - ध्रुवों के पास दबाव अधिक होता है।
वायुदाब पेटियों का दोलन (Oscillation of pressure belts)
ये वायुदाब पेटियाँ पूरे वर्ष सूर्य की गति के साथ दोलन (oscillate) करती हैं।
उदाहरण के लिए, उत्तरी गोलार्ध में:
सर्दियों के दौरान - वायुदाब पेटियाँ दक्षिण की ओर सरक जाती हैं और
ग्रीष्मकाल में - वायुदाब पेटियाँ उत्तर की ओर सरक जाती हैं।
हवा के वेग और दिशा को प्रभावित करने वाले बल
पृथ्वी की सतह के पास क्षैतिज हवाएँ चार बलों द्वारा प्रभावित होती हैं:
- दबाव प्रवणता बल (Pressure gradient force)
- घर्षण बल (Frictional force)
- कोरिओलिस बल (Coriolis force)
- गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational force) - यह नीचे की ओर कार्य करता है|
दबाव प्रवणता बल
दबाव प्रवणता बल (Pressure gradient force) हवाओं के चलने का कारण बनता है। यह हवाओं की दिशा और वेग को प्रभावित करता है।
वायुमंडलीय दबाव में अंतर से एक बल का निर्माण होता है। हवा उच्च दाब से निम्न दाब की ओर चलती है। यह हवाओं की दिशा तय करता है।
दाब प्रवणता (Pressure gradient) - यह दूरी के साथ दबाव में आ रहे परिवर्तन की दर है। यह हवाओं की गति को तय करता है।
घर्षण (Friction)
सतह के पास की हवा घर्षण का अनुभव करती है। स्पष्ट रूप से घर्षण सतह पर सबसे अधिक होता है, लेकिन इसका प्रभाव 1 - 3 किमी की ऊंचाई तक प्रतिलक्षित होता है।
समुद्र की सतह पर घर्षण, भूमि की तुलना में बहुत कम होता है।
घर्षण हवा की गति को प्रभावित करता है (दिशा को नहीं)।
कोरिओलिस बल (Coriolis force)
कोरिओलिस बल - पृथ्वी के घूर्णन द्वारा लगाया गया बल।
यह हवा की दिशा को प्रभावित करता है। यह उत्तरी गोलार्द्ध में हवा को दायीं ओर, तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में बायीं ओर विक्षेपित करता है।
हवा का वेग जितना अधिक होता है (अर्थात जब दबाव प्रवणता बल अधिक होता है), विक्षेपण उतना ही अधिक होता है।
कोरिओलिस बल ध्रुवों (poles) पर अधिकतम, तथा विषुवत रेखा (equator) पर अनुपस्थित होता है।
कोरिओलिस बल की दिशा
कोरिओलिस बल, दबाव प्रवणता बल के लंबवत कार्य करता है (जो बदले में खुद समभार रेखा / isobar के लंबवत होता है)
भूमध्य रेखा पर कोरिओलिस बल शून्य होता है। तो, हवा समदाब रेखा के लंबवत चलती है। इसका मतलब है कि कोई चक्रवात नहीं बनता है, क्योंकि हवा कम दबाव वाले क्षेत्रों के चारों ओर नहीं चलती है। बल्कि समदाब रेखा के लंबवत बहने वाली हवा, कम दबाव के क्षेत्र को बहुत जल्दी भर देती है।